Monday, September 9, 2013

Short Story

सुबह हो रही थी। स्पेन की उस जेल में एक युवक देशभक्त को गोली से उड़ाया जाना था। वह फौजी दस्ते के सामने खड़ा था। सब तैयारी हो चुकी थी। सन्नाटा छाया हुआ था।मृत्युदंड प्राप्त विद्रोही एक हास्य लेखक था और स्पेन में बहुत ही लोकप्रिय। गोली मारनेवाले दस्ते के नायक का एक जमाने में मित्र रहा था। दोनों मेड्रिड विश्वविद्यालय में पढ़े थे। राजा और चर्च की सत्ता को उखाड़ने के लिए उन्होंने संघर्ष किया था। साथ बैठकर शराब पी थी। गप्पें लगाई थी और दार्शनिक विषयों पर घंटों बहस की थी। तब उनके मतभेद भी सद्भावनापूर्ण थे किंतु बाद में स्पेन का वातावरण आंतरिक अशांति से भर उठा। सैनिक टुकड़ी के नायक का वही पुराना मित्र आज प्राणदंड की प्रतीक्षा में सामने खड़ा था।नायक के मन में अतीत की स्मृतियां डोल रही थीं। गृहयुद्ध छिड़ने के बाद कितना कुछ बदल गया था। आज सवेरे उन दोनों ने एक–दूसरे को देखा, जेल में। बोले कुछ नहीं, सिफ‍र् मुस्करा दिए।हर चीज शांत थी। उस खामोशी में अचानक नायक की आवाज गूँज उठी, ‘‘अटेंशन।’’आदेश मिलते ही फौजी टुकड़ी में एक सामूहिक हरकत हुई। सिपाहियों के हाथ बंदूकों पर अकड़ गए और शरीर तन गए।किंतु इसी दरम्यान कैदी ने खाँसा और गला साफ किया। इससे मानो सारी लय टूट गई। नायक ने तुरंत उस विद्रोही बंदी की ओर देखा कि शायद वह कुछ कहे, किन्तु बंदी चुप था। सैनिकों की तरफ घूमकर नायक अगला आदेश देने के लिए तैयार हुआ। सहसा उसके विचार धुंधलाने लगे। मन नफरत से भर गया। उसने देखा कि दीवार से पीठ सटाकर बैठा बंदी खड़ा था और उसके सामने छह सैनिक। यह सब एक दु:स्चप्न की तरह था। सैनिक ऐसे लग रहे थे, मानो छह घडि़यां चलते–चलते बंद हो गई नायक याद करने लगा, ‘‘अटेंशन’’ के बाद कहना होगा, ‘‘शोल्डर आम्र्स,’’ फिर ‘‘प्रेजेंट’’ और अंतिम रूप से ‘‘फायर’’। उसे यह शब्द बहुत दूर और अस्पष्ट जान पड़े। वह कुछ बुदबुदाया, तो सिपाहियों ने अपनी बंदूकें सीधी तान दीं। फिर कुछ पलों का अंतराल। जेल के बरामदे में किसी के पाँवों की तेज आहट फौजी दस्ते के नायक को एहसास हो गया कि मृत्युदंड स्थगित करने का आदेश आ पहुँचा है। वह सजह हो उठा।‘‘रुको!’’, एक व्यग्र तत्परता के साथ वह चिल्लाया।छह सैनिकों के हाथों में बंदूकें सधी हुई थीं। उन्हें एक ध्वनि में ‘‘आदेशपालन’’ करना सिखलाया गया था। यांत्रिक ढंग से शब्द के अर्थ से नहीं। उन्होंने एक ध्वनि सुनी, ‘‘रुको’’ और बंदूकें दाग दी गई।

(चार्ली चेपलिन)

Nathuram Godse - The Man Who Killed Gandhi

Nathuram Godse - The Man Who Killed Gandhi (The Other Side of The Story)